الملك
Al-Mulk
The Dominion
सूरह मुल्क एक मक्की सूरह है, जिसका मतलब होता है "संप्रभुता" या "राज्य"। यह कुरान की 67वीं सूरह है और 30 आयतों से मिलकर बनी है। सूरह मुल्क को इस्लामिक धर्म के अनुयायियों ने बड़ी श्रद्धा और मानसिक महत्व से याद किया है।
सूरह मुल्क का मुख्य उद्देश्य है अल्लाह के महत्व की प्रशंसा करना, उनके राज्य और संप्रभुता का बयान करना और सृष्टि के सारे प्राणियों के लिए एक संदेश प्रस्तुत करना। यह अल्लाह की शक्ति, गुणवत्ता और करुणा को बताती है और इस सृष्टि में उनके इंसानों के रोज़ी-रोटी का ज़िम्मेदार कौन है।
Surah Mulk Hindi main
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमा-निर्रहीम
तबाराकल्लाजी बियादीहिल मुल्कु वहूवा अला कुल्ली शएंयिन कदीर।
अल्लजी खलाकल मौता वल हयाता लियाबलुवाकुम अय्यूकुम अहसानु अमाला अहुवल अज़ीजुल गफ़ूर।
अल्लजी खलाका सबाआ समावतिन तिबाका मा तरा फ़ी खलकिर रहमानी; मिन तफाउत फर्जियिल बसारा हल तरा मिन फुतूर।
सुम्मर जीयिल बसारा कर्ररतैनी यानकलीबु इलाईकल बसारू खाशिऔं वहूवा हसीर।
वलाक़द ज़य्यन्नस समााआद्दुनिया बिमासा बीहा वजा अलनहा रूजूमल लिश्शयातीन; वआ तदना लहुम अजाबस सईर।
वालिल्लाजिना कफारू बिराब्बिहिम आजबु जहान्नमा वा बीसल मसीर।
इज़ा उलकू फीहा समिऊ लहा शहीकनवं वहिया तफूर।
तकादु तमाय्यजु मिनल गैज कुल्लमा उल्किया फीहा फौजुं सआलाहुम खाजानतुहा अलम यातिकूम नजीर।
कालू बला कद जाअना नजीरूं फकज़्ज़बना वकुलना मा नज्जलललाहू मिंन शय इन अंतुमइल्ला फी जलालिनं कबीर।
वकालु लव कुन्ना नस्मऊ औे नआकिलु मा कुन्ना फी असहाबिस सयीर।
फातराफु बिज़नंबिहिम फसुहकल लियसहाबिस सईर।
इन्नललजिना यख्शौना रब्बाहुम बिलगैबी लहुम मगफिरातुं वा अजरून कबीर।
वा असिर्रू कौलाकुम अविजहरु बिही इन्नहु अलीमुम बिजतिस सूदूर।
अला यालामु मन खलक़ वहुवल लतीफुल खबीर।
हुवललज़ी जाआला लकुमुल अर्जा जलूलन फामशू फी मनाकिबिहा वकुलू मिर रिज्किही वा इलैहिन नुशूर।
आ आमिंतुम मन फीस समाई अंय यखसिफा बीकुमुल अरजा फइज़ा हिया तमूर।
अम अमिंतुम मंन फिस्समाई अंय युरसिला अलैयकूम फइज़ा हासिबन फसातालामूना कईफा नज़ीर।
वलाकद कज्जबल्लजीना मिन क़ब्लिहिम फकईफ़ा काना नकीर।
अवालम यराऊ इलत्तयरी फौकाहुम साफ्फातिंव वयकबिज्न मा युम्सिकुहुन्ना; इल्लर रहमानु इन्नहु बिकुल्ल शैइंम बसीर।
अम्मन हाजल्लजी हुआ जुंदुल लकुम यनसुरुकुम मिन दूनिर रहमानी इनिल काफिरूना इल्ला फी गुरुर।
अम्मन हाजाल्लजी यार्जुकुकुम इन अमसका रिज्कहु बल लज्जु फी उतुव्विंव वा नुफ़ूर।
अफा मइंय यमशी मुकिब्बन अला वजहिहि अहदा अम्मय यमशी सविय्यन अला सिरतिम मुस्तकीम।
कुल हुवाल्लजी अंशाआकुम वजाअला लकुमु्स समआ वल अफइदता कलीलम मा तश्कुरून।
कुल हुवललजी ज़राआकुम फिल अरजी वईलईहि तुहशरून।
व या कूलूना मता हाज़ल वआदू इन कुंतुम सादिकीन।
कुल इन्नमल इलमु इंदाल्लाह वाइन्नमा अना नज़ीरुम्म मुबीन।
फलम्मा राऊहु जुलफतन सीअत वुजूहुल्लजीना कफ़ारू वकीला हजाल्लजी कुंतुम बिही तद्दाऊन।
कुल अराअयतुम इन अहलकानियल्लाहु वमम् मईया अव रहिमाना फामैययुजीरुल काफिरीना मिन अजाबिल अलीम।
कुल हुवार्रह्मानू आमन्ना बिही वाअलैहि तवाकल्लना फसातालमूना मन हुआ फ़ी जालालिम मुबीन।
कुल अराअयतुम इन असबहा मा ऊकुम गौरन फमैयांतिकुम बीमाइम्म मुबीन।
Surah Al-Mulk Hindi Tarjuma
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है
तबाराकल्लाजी बियादीहिल मुल्कु वहूवा अला कुल्ली शएंयिन कदीर (1)
जिस (ख़ुदा) के कब्ज़े में (सारे जहाँन की) बादशाहत है वह बड़ी बरकत वाला है और वह हर चीज़ पर कादिर है
अल्लजी खलाकल मौता वल हयाता लियाबलुवाकुम अय्यूकुम अहसानु अमाला अहुवल अज़ीजुल गफ़ूर। (2)
जिसने मौत और ज़िन्दगी को पैदा किया ताकि तुम्हें आज़माए कि तुममें से काम में सबसे अच्छा कौन है और वह ग़ालिब (और) बड़ा बख्शने वाला है
अल्लजी खलाका सबाआ समावतिन तिबाका मा तरा फ़ी खलकिर रहमानी मिन तफाउत फर्जियिल बसारा हल तरा मिन फुतूर। (3)
जिसने सात आसमान तले ऊपर बना डाले भला तुझे ख़ुदा की आफ़रिनश में कोई कसर नज़र आती है तो फिर ऑंख उठाकर देख भला तुझे कोई शिग़ाफ़ नज़र आता है
सुम्मर जीयिल बसारा कर्ररतैनी यानकलीबु इलाईकल बसारू खाशिऔं वहूवा हसीर । (4)
फिर दुबारा ऑंख उठा कर देखो तो (हर बार तेरी) नज़र नाकाम और थक कर तेरी तरफ पलट आएगी
वलाक़द ज़य्यन्नस समााआद्दुनिया बिमासा बीहा वजा अलनहा रूजूमल लिश्शयातीन वआ तदना लहुम अजाबस सईर। (5)
और हमने नीचे वाले (पहले) आसमान को (तारों के) चिराग़ों से ज़ीनत दी है और हमने उनको शैतानों के मारने का आला बनाया और हमने उनके लिए दहकती हुई आग का अज़ाब तैयार कर रखा है
वालिल्लाजिना कफारू बिराब्बिहिम आजबु जहान्नमा वा बीसल मसीर। (6)
और जो लोग अपने परवरदिगार के मुनकिर हैं उनके लिए जहन्नुम का अज़ाब है और वह (बहुत) बुरा ठिकाना है
इज़ा उलकू फीहा समिऊ लहा शहीकनवं वहिया तफूर। (7)
जब ये लोग इसमें डाले जाएँगे तो उसकी बड़ी चीख़ सुनेंगे और वह जोश मार रही होगी
तकादु तमाय्यजु मिनल गैज कुल्लमा उल्किया फीहा फौजुं सआलाहुम खाजानतुहा अलम यातिकूम नजीर। (8)
बल्कि गोया मारे जोश के फट पड़ेगी जब उसमें (उनका) कोई गिरोह डाला जाएगा तो उनसे दारोग़ए जहन्नुम पूछेगा क्या तुम्हारे पास कोई डराने वाला पैग़म्बर नहीं आया था
कालू बला कद जाअना नजीरूं फकज़्ज़बना वकुलना मा नज्जलललाहू मिंन शय इन अंतुम इल्ला फी जलालिनं कबीर। (9)
वह कहेंगे हॉ हमारे पास डराने वाला तो ज़रूर आया था मगर हमने उसको झुठला दिया और कहा कि ख़ुदा ने तो कुछ नाज़िल ही नहीं किया तुम तो बड़ी (गहरी) गुमराही में (पड़े) हो
वकालु लव कुन्ना नस्मऊ औे नआकिलु मा कुन्ना फी असहाबिस सयीर। (10)
और (ये भी) कहेंगे कि अगर (उनकी बात) सुनते या समझते तब तो (आज) दोज़ख़ियों में न होते
फातराफु बिज़नंबिहिम फसुहकल लियसहाबिस सईर।(11)
ग़रज़ वह अपने गुनाह का इक़रार कर लेंगे तो दोज़ख़ियों को ख़ुदा की रहमत से दूरी है
इन्नललजिना यख्शौना रब्बाहुम बिलगैबी लहुम मगफिरातुं वा अजरून कबीर। (12)
बेशक जो लोग अपने परवरदिगार से बेदेखे भाले डरते हैं उनके लिए मग़फेरत और बड़ा भारी अज्र है
वा असिर्रू कौलाकुम अविजहरु बिही इन्नहु अलीमुम बिजतिस सूदूर।(13)
और तुम अपनी बात छिपकर कहो या खुल्लम खुल्ला वह तो दिल के भेदों तक से ख़ूब वाक़िफ़ है
अला यालामु मन खलक़ वहुवल लतीफुल खबीर।(14)*
भला जिसने पैदा किया वह तो बेख़बर और वह तो बड़ा बारीकबीन वाक़िफ़कार है
हुवललज़ी जाआला लकुमुल अर्जा जलूलन फामशू फी मनाकिबिहा वकुलू मिर रिज्किही वा इलैहिन नुशूर।(15)
वही तो है जिसने ज़मीन को तुम्हारे लिए नरम (व हमवार) कर दिया तो उसके अतराफ़ व जवानिब में चलो फिरो और उसकी (दी हुई) रोज़ी खाओ
आ आमिंतुम मन फीस समाई अंय यखसिफा बीकुमुल अरजा फइज़ा हिया तमूर।(16)
और फिर उसी की तरफ क़ब्र से उठ कर जाना है क्या तुम उस शख़्श से जो आसमान में (हुकूमत करता है) इस बात से बेख़ौफ़ हो कि तुमको ज़मीन में धॅसा दे फिर वह एकबारगी उलट पुलट करने लगे
अम अमिंतुम मंन फिस्समाई अंय युरसिला अलैयकूम फइज़ा हासिबन फसातालामूना कईफा नज़ीर।(17)
या तुम इस बात से बेख़ौफ हो कि जो आसमान में (सल्तनत करता) है कि तुम पर पत्थर भरी ऑंधी चलाए तो तुम्हें अनक़रीेब ही मालूम हो जाएगा कि मेरा डराना कैसा है
वलाकद कज्जबल्लजीना मिन क़ब्लिहिम फकईफ़ा काना नकीर।(18)
और जो लोग उनसे पहले थे उन्होने झुठलाया था तो (देखो) कि मेरी नाख़ुशी कैसी थी
अवालम यराऊ इलत्तयरी फौकाहुम साफ्फातिंव वयकबिज्न मा युम्सिकुहुन्ना इल्लर रहमानु इन्नहु बिकुल्ल शैइंम बसीर।(19)
क्या उन लोगों ने अपने सरों पर चिड़ियों को उड़ते नहीं देखा जो परों को फैलाए रहती हैं और समेट लेती हैं कि ख़ुदा के सिवा उन्हें कोई रोके नहीं रह सकता बेशक वह हर चीज़ को देख रहा है
अम्मन हाजल्लजी हुआ जुंदुल लकुम यनसुरुकुम मिन दूनिर रहमानी इनिल काफिरूना इल्ला फी गुरुर।(20)
भला ख़ुदा के सिवा ऐसा कौन है जो तुम्हारी फ़ौज बनकर तुम्हारी मदद करे काफ़िर लोग तो धोखे ही (धोखे) में हैं भला ख़ुदा अगर अपनी (दी हुई) रोज़ी रोक ले तो कौन ऐसा है जो तुम्हें रिज़क़ दे
अम्मन हाजाल्लजी यार्जुकुकुम इन अमसका रिज्कहु बल लज्जु फी उतुव्विंव वा नुफ़ूर।(21)
मगर ये कुफ्फ़ार तो सरकशी और नफ़रत (के भँवर) में फँसे हुए हैं भला जो शख़्श औंधे मुँह के बाल चले वह ज्यादा हिदायत याफ्ता होगा
अफा मइंय यमशी मुकिब्बन अला वजहिहि अहदा अम्मय यमशी सविय्यन अला सिरतिम मुस्तकीम।(22)
या वह शख़्श जो सीधा बराबर राहे रास्त पर चल रहा हो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा तो वही है जिसने तुमको नित नया पैदा किया
कुल हुवाल्लजी अंशाआकुम वजाअला लकुमु्स समआ वल अफइदता कलीलम मा तश्कुरून। 23)
और तुम्हारे वास्ते कान और ऑंख और दिल बनाए (मगर) तुम तो बहुत कम शुक्र अदा करते हो
कुल हुवललजी ज़राआकुम फिल अरजी वईलईहि तुहशरून।(24)
कह दो कि वही तो है जिसने तुमको ज़मीन में फैला दिया और उसी के सामने जमा किए जाओगे
वया कूलूना मता हाज़ल वआदू इन कुंतुम सादिकीन।(25)
और कुफ्फ़ार कहते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो (आख़िर) ये वायदा कब (पूरा) होगा
कुल इन्नमल इलमु इंदाल्लाह वाइन्नमा अना नज़ीरुम्म मुबीन। 26)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि (इसका) इल्म तो बस ख़ुदा ही को है और मैं तो सिर्फ साफ़ साफ़ (अज़ाब से) डराने वाला हूँ
फलम्मा राऊहु जुलफतन सीअत वुजूहुल्लजीना कफ़ारू वकीला हजाल्लजी कुंतुम बिही तद्दाऊन। (27)
तो जब ये लोग उसे करीब से देख लेंगे (ख़ौफ के मारे) काफिरों के चेहरे बिगड़ जाएँगे और उनसे कहा जाएगा ये वही है जिसके तुम ख़वास्तग़ार थे
कुल अराअयतुम इन अहलकानियल्लाहु वमम् मईया अव रहिमाना फामैययुजीरुल काफिरीना मिन अजाबिल अलीम।(28)
(ऐ रसूल) तुम कह दो भला देखो तो कि अगर ख़ुदा मुझको और मेरे साथियों को हलाक कर दे या हम पर रहम फरमाए तो काफ़िरों को दर्दनाक अज़ाब से कौन पनाह देगा
कुल हुवार्रह्मानू आमन्ना बिही वाअलैहि तवाकल्लना फसातालमूना मन हुआ फ़ी जालालिम मुबीन।(29)
तुम कह दो कि वही (ख़ुदा) बड़ा रहम करने वाला है जिस पर हम ईमान लाए हैं और हमने तो उसी पर भरोसा कर लिया है तो अनक़रीब ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि कौन सरीही गुमराही में (पड़ा) है
कुल अराअयतुम इन असबहा मा ऊकुम गौरन फमैयांतिकुम बीमाइम्म मुबीन।30)*
ऐ रसूल तुम कह दो कि भला देखो तो कि अगर तुम्हारा पानी ज़मीन के अन्दर चला जाए कौन ऐसा है जो तुम्हारे लिए पानी का चश्मा बहा लाए
Surah Mulk Hindi Photo
Surah Mulk pdf in hindi
अगर आप सूरह मुल्क को हिंदी में पीडीऍफ़ में डाउनलोड (Surah Mulk in Hindi Pdf) करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए डाउनलोड लिंक पर क्लिक करें।Surah Mulk ki hadees in hindi
👉1. एक हदीस से मालूम पड़ा कि हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्ला वाले वसल्लम फरमाते हैं; कि बेशक हकीकत में एक ऐसी सूरह कुरान मजीद में जिसमें 30 आयतें मौजूद हैं, जो उसके पढ़ने वाले की तब तक वकालत करती है, जब तक कि वह माफ ना हो जाए।
और यह भी कहा बा – बरकत है, वह लोग जिनके हाथ में बादशाही यानी सुरह मुल्क हो।
👉2. हमारे नबी का इरशाद है, कि जो शख्स इस सुरह (surah al mulk) को पड़ता है; तो यह सूरह उसे कब्र के आजाब से महफूज रखती है।
👉3. एक हदीस से यह भी साबित है कि हमारे नबी रात को सोने से पहले यह दो सुरह जरूर पढ़ा करते थे; और वह सूरह है सूरहअस सजदा और सूरह अल मुल्क।
Surah Mulk Benefits in Hindi
सूरह मुल्क, जिसे सूरह अल-मुल्क के नाम से भी जाना जाता है, कुरान का 67वां अध्याय है। यह उन लोगों के लिए कई लाभों वाला एक शक्तिशाली सूरा है जो इसकी शिक्षाओं का पाठ करते हैं, इस पर चिंतन करते हैं और उन पर अमल करते हैं। यहाँ सूरह मुल्क से जुड़े कुछ लाभ दिए गए हैं:
- कब्र की सजा से सुरक्षा: पैगंबर मुहम्मद (उसे शांति मिले) ने कहा, "कुरान में एक सूरा है जो केवल तीस छंदों का है। इसने उस व्यक्ति का बचाव किया जिसने इसे तब तक पढ़ा जब तक कि यह उसे स्वर्ग में नहीं डाल देता" ( तिर्मिज़ी)। सूरह मुल्क क़ब्र की यातना और सज़ा के ख़िलाफ़ ढाल का काम करती है।
- क़यामत के दिन मध्यस्थता: पैगंबर मुहम्मद (उन पर शांति हो) ने भी कहा, "सूरह मुल्क कब्र की पीड़ा से रक्षक है" (अल-तिर्मिज़ी)। सूरह का पाठ उस व्यक्ति के लिए मध्यस्थता के साधन के रूप में काम कर सकता है जो इसे नियमित रूप से पढ़ता है, न्याय के दिन अल्लाह की दया और क्षमा मांगता है।
- इनाम और आशीर्वाद: सूरह मुल्क की हर आयत उन लोगों के लिए बहुत बड़ा इनाम है जो इसे ईमानदारी और प्रतिबिंब के साथ पढ़ते हैं। यह एक सूरा है जो विश्वासियों को अल्लाह की संप्रभुता, उसके द्वारा स्वर्ग और पृथ्वी की रचना, और मानव कार्यों के परिणामों की याद दिलाता है। सूरह मुल्क का पाठ करने से जुड़े इनाम और आशीर्वाद की तलाश किसी के दिल में शांति और शांति ला सकती है।
- आत्मज्ञान और प्रतिबिंब: सूरह मुल्क विश्वासियों को अल्लाह की रचना और जीवन के उद्देश्य के संकेतों पर विचार करने के लिए आमंत्रित करता है। यह ब्रह्मांड पर प्रतिबिंब और इसके पीछे निर्माता को पहचानने के महत्व को प्रोत्साहित करता है। सूरह मुल्क का नियमित पाठ किसी की समझ और अल्लाह के साथ संबंध को गहरा कर सकता है, जिससे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
- मार्गदर्शन और अनुस्मारक: सूरा मुल्क सांसारिक संपत्ति की अस्थायी प्रकृति और अल्लाह के अंतिम अधिकार के मार्गदर्शक और अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है। यह एक जिम्मेदार और धार्मिक तरीके से अपने धन और संसाधनों का उपयोग करने के महत्व पर बल देता है। सूरह मुल्क के संदेश पर विचार करके, लोग इस्लाम की शिक्षाओं के साथ अपने कार्यों और प्राथमिकताओं को संरेखित कर सकते हैं।
- भय और चिंता से सुरक्षा: सूरह मुल्क का पाठ करने से आराम मिल सकता है और भय और चिंता कम हो सकती है। अल्लाह की शक्ति और सभी मामलों पर नियंत्रण पर भरोसा करने से लोगों को उसकी दया और सुरक्षा में सांत्वना मिलती है। सूरा अल्लाह पर निर्भरता की भावना पैदा करता है, जो दिल की चिंताओं और चिंताओं को कम कर सकता है।
- बरकह (आशीर्वाद) जीवन में: सूरह मुल्क को उन लोगों के जीवन में आशीर्वाद और बरकत लाने के लिए माना जाता है जो इसे नियमित रूप से पढ़ते हैं। यह आध्यात्मिक शक्ति और विपत्ति से सुरक्षा का स्रोत है। सूरह मुल्क की आयतों से जुड़कर, विश्वासियों को भलाई की एक बढ़ी हुई भावना और अल्लाह के साथ एक गहरा संबंध का अनुभव हो सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सूरह मुल्क के वास्तविक लाभ ऊपर वर्णित लोगों तक ही सीमित नहीं हैं। कुरान में अपार ज्ञान और आशीर्वाद है, और प्रत्येक व्यक्ति अपने इरादों, ईमानदारी और अल्लाह के साथ संबंधों के आधार पर सूरह मुल्क को पढ़ने से अद्वितीय व्यक्तिगत लाभ का अनुभव कर सकता है।