يٰسٓ
Yā`Sīn
Table of Content
- Surah Yaseen in Hindi
- Surah Yaseen ki Fazilat in Hindi
- Surah Yaseen Tarjuma in Hindi
- Surah Yaseen ki akhri ayat in Hindi
- Surah Yaseen Benefits in Hindi
- Surah Yaseen in Hindi mp3 download
- Surah Yaseen PDF Downlaod
Surah Yaseen in Hindi
सूरह यासीन. (मक्की)
- या - सी़न् (1)
- वल्कुरआनिल् - हकीम (2)
- इन्न - क ल - मिनल् - मुर्सलीन (3)
- अ़ला सिरातिम् - मुस्तकीम (4)
- तन्ज़ीलल् अ़ज़ीज़िर् - रहीम (5)
- लितुन्ज़ि - र कौ़मम् - मा उन्ज़ि - र आबाउहुम् फ़हुम् ग़ाफ़िलून (6)
- ल - क़द् हक़्क़ल - कौ़लु अ़ला अक्सरिहिम् फ़हुम् ला युअ्मिनून (7)
- इन्ना जअ़ल्ना फी अअ्नाकिहिम् अ़ग्लालन् फ़हि - य इलल् - अज़्कानि फ़हुम् मुक़्महून (8)
- व जअ़ल्ना मिम्बैनि ऐदीहिम् सद्दंव् - व मिन् ख़ल्फिहिम् सद्दन् फ़ - अ़ग्शैनाहुम् फ़हुम् ला युब्सिरून (9)
- व सवाउन् अ़लैहिम् अ - अन्ज़र् - तहुम् अम् लम् तुन्जिरहुम् ला युअ्मिनून (10)
- इन्नमा तुन्ज़िरु मनित्त - ब - अ़ज़् जिक् - र व ख़शि - यर्रहमा - न बिल्गै़बि फ़ - बश्शिरहु बिमग्फि - रतिंव् - व अज्रिन् करीम (11)
- इन्ना नह्नु नुह़्यिल् - मौता व नक्तुबु मा क़द्दमू व आसा - रहुम , व कुल - ल शैइन् अह्सैनाहु फी इमामिम् - मुबीन (12)*
- वज़्रिब् लहुम् म - सलन् अस्हाबल् - क़र् - यति • इज् जा - अहल् - मुर् - सलून (13)
- इज् अरसल्ना इलैहिमुस्नैनि फ़ - क़ज़्ज़बूहुमा फ़ - अ़ज़्ज़ज्ना बिसालिसिन् फ़का़लू इन्ना इलैकुम् मुर् - सलून (14)
- का़लू मा अन्तुम् इल्ला ब - शरुम् - मिस्लुना वमा अन्ज़लर् - रहमानु मिन् शैइन् इन् अन्तुम् इल्ला तक्ज़िबून (15)
- कालू रब्बुना यअ्लमु इन्ना इलैकुम् ल - मुर् - सलून (16)
- व मा अ़लैना इल्लल् - बलागुल् - मुबीन (17)
- का़लू इन्ना त - तय्यरना बिकुम् ल - इल्लम् तन्तहू ल - नरजुमन्नकुम् व ल - यमस्सन्नकुम् मिन्ना अ़जा़बुन अलीम (18)
- का़लू ताइरुकुम् म - अ़कुम् अ - इन् जुक्किरतुंम् , बल् अन्तुम् क़ौमुम् - मुस्रिफून (19)
- व जा - अ मिन् अक़्सल - मदीनति रजुलुंय् - यस्आ , का़ - ल या क़ौमित्तबिअ़ुल - मुर - सलीन (20)
- इत्तबिअू मल्ला यस्अलुकुम् अज्रंव् - व हुम् मुह्तदून (21)
- व मा लि - य ला अअ्बुदुल्लज़ी , फ़ - त - रनी व इलैहि तुर्जअून (22)
- अ - अत्तखिजु मिन् दूनिही आलि - हतन् इंय्युरिद् - निर् - रह्मानु बिजुर्रिल् - ला तुग्नि अ़न्नी शफा - अ़तुहुम् शैअंव् - व ला युन्किजून (23)
- इन्नी इज़ल् - लफ़ी ज़लालिम् - मुबीन (24)
- इन्नी आमन्तु बिरब्बिकुम् फस्मअून (25)
- कीलद्खुलिल् - जन्न - त , का - ल यालै - त कौ़मी यअ्लमून (26)
- बिमा ग़ - फ - र ली रब्बी व ज - अ़ - लनी मिनल् - मुक्रमीन (27)
- व मा अन्ज़ल्ना अ़ला कौ़मिही मिम्बअ्दिही मिन् जुन्दिम् - मिनस्समा - इ व मा कुन्ना मुन्ज़िलीन (28)
- इन् कानत् इल्ला सै - हतंव्वाहि - दतन् फ़ - इज़ा हुम् ख़ामिदून (29)
- या हस् - रतन् अ़लल् - अिबादि , मा यअ्तीहिम् मिर् - रसूलिन् इल्ला कानू बिही यस्तह्ज़िऊन (30)
- अलम् यरौ कम् अह़्लक्ना क़ब्लहुम् मिनल् - कुरूनि अन्नहुम् इलैहिम् ला यरजिअून (31)
- व इन् कुल्लुल् - लम्मा जमीअुल् - लदैना मुह्ज़रून (32)*
- व आ - यतुल् लहुमुल् - अर्जुल् - मै - ततु अह़्यैनाहा व अख़्रज्ना मिन्हा हब्बन् फ़मिन्हु यअ्कुलून (33)
- व - जअ़ल्ना फ़ीहा जन्नातिम् मिन् नख़ीलिंव् - व अअ्नाबिंव - व फज्जरना फ़ीहा मिनल् - अुयून (34)
- लि - यअ्कुलू मिन् स - मरिही व मा अ़मिलत्हु ऐदीहिम , अ - फ़ला यश्कुरून (35)
- सुब्हानल्लज़ी ख़ - लक़ल् - अज़्वा - ज कुल्लहा मिम्मा तुम्बितुल् - अर्जु व मिन् अन्फुसिहिम् व मिम्मा ला यअ्लमून (36)
- व आ - यतुल् लहुमुल्लैलु नस् - लखु मिन्हुन्नहा - र फ़ - इज़ा हुम् मुज्लिमून (37)
- वश्शम्सु तज्री लिमुस्त - कर्रिल् - लहा , ज़ालि - क तक़दीरुल अ़ज़ीज़िल् - अ़लीम (38)
- वल्क़ - म - र क़द्दरनाहु मनाज़ि - ल हत्ता आ़ - द कल् - अुरजूनिल - क़दीम (39)
- लश्शम्सु यम्बगी लहा अन् तुद्रिकल् क़ - म - र व लल्लैलु साबिकुन् - नहारि , व कुल्लुन् फ़ी फ़ - लकिंय् - यस्बहून (40)
- व आ - यतुल् - लहुम् अन्ना हमल्ना जुर्रिय्य - तहुम् फिल् - फुल्किल् मश्हून (41)
- व ख़लक़्ना लहुम् मिम् - मिस्लिही मा यरकबून (42)
- व इन्न - शअ् नुग्रिक़्हुम् फ़ला सरी - ख़ लहुम् व ला हुम् युन्क़जून (43)
- इल्ला रह्म - तम् मिन्ना व मताअन् इला हीन (44)
- व इज़ा की - ल लहुमुत्तकू मा बै - न ऐदीकुम् व मा खल्फ़कुम् लअ़ल्लकुम् तुरहमून (45)
- व मा तअ्तीहिम् मिन् आ - यतिम् मिन् आयाति रब्बिहिम् इल्ला कानू अ़न्हा मुअ्रिज़ीन (46)
- व इज़ा की - ल लहुम् अन्फ़िकू मिम्मा र - ज़ - क़कुमुल्लाहु क़ालल्लज़ी - न क - फ़रू लिल्लज़ी - न आमनू अ - नुत्अिमु मल्लौ यशाउल्लाहु अत् - अ़ - महू इन् अन्तुम् इल्ला फ़ी ज़लालिम् - मुबीन (47)
- व यकूलू - न मता हाज़ल - वअ्दु इन् कुन्तुम् सादिक़ीन (48)
- मा यन्जु रू - न इल्ला सै - हतंव् - वाहि - दतन् तअ्खुजुहुम् व हुम् यखिस्सिमून (49)
- फ़ला यस्ततीअू - न तौसि - यतंव् - व ला इला अह़्लिहिम् यरजिअून (50)*
- व नुफि - ख़ फिस्सूरि फ - इज़ा हुम् मिनल् - अज्दासि इला रब्बिहिम् यन्सिलून (51)
- कालू या वैलना मम्ब - अ़ - सना मिम् -मरकदिना • हाज़ा मा व - अ़ - दर्रह्मानु व स - दक़ल् - मुरसलून (52)
- इन् कानत् इल्ला सै - हतंव्वाहि - दतन् फ़ - इज़ा हुम् जमीअुल - लदैना मुह्ज़रून (53)
- फ़ल्यौ - म ला तुज्लमु नफ़्सुन् शैअंव् - व ला तुज्जौ़ - न इल्ला मा कुन्तुम् तअ्मलून (54)
- इन् - न अस्हाबल् - जन्नतिल् - यौ - म फ़ी शुगुलिन् फ़ाकिहून (55)
- हुम् व अज़्वाजुहुम् फ़ी ज़िलालिन् अ़लल् - अराइकि मुत्तकिऊन (56)
- लहुम् फ़ीहा फ़ाकि - हतुंव् - व लहुम् मा यद् - दअून (57)
- सलामुन् , कौ़लम् मिर्रब्बिर् - रहीम (58)
- वम्ताजुल् - यौ - म अय्युहल् मुज्रिमून (59)
- अलम् अअ्हद् इलैकुम् या बनी आद - म अल्ला तअ्बुदुश्शैता - न इन्नहू लकुम् अ़दुव्वुम् - मुबीन (60)
- व अनिअ्बुदूनी , हाज़ा सिरातुम् मुस्तकीम (61)
- व ल - क़द् अज़ल् - ल मिन्कुम् जिबिल्लन् कसीरन् , अ - फ़लम् तकूनू तअ्किलून (62)
- हाज़िही जहन्नमुल्लती कुन्तुम् तू - अ़दून (63)
- इस्लौहल् - यौ - म बिमा कुन्तुम् तक्फुरून (64)
- अल्यौ - म नख़्तिमु अ़ला अफ़्वाहिहिम् व तुकल्लिमुना ऐदीहिम् व तश्हदु अर्जुलुहुम् बिमा कानू यक्सिबून (65)
- व लौ नशा - उ ल - तमस्ना अ़ला अअ्युनिहिम् फ़स्त - बकुस्सिरा - त फ़ - अन्ना युब्सिरून (66)
- व लौ नशा - उ ल - मसख़्नाहुम् अ़ला मका - नतिहिम् फ़ - मस्तताअू मुज़िय्यंव् - व ला यर्जिअून (67)*
- व मन् नुअ़म्मिरहु नुनक्किस्हु फ़िल्खल्कि अ - फ़ला यअ्किलून (68)
- व मा अ़ल्लम्नाहुश् - शिअ् - र व मा यम्बगी लहू , इन् हु - व इल्ला ज़िक्रुंव - व कुरआनुम् - मुबीन (69)
- लियुन्ज़ि - र मन् का - न हय्यंव् - व यहिक़्क़ल् - कौ़लु अ़लल् - काफ़िरीन (70)
- अ - व लम् यरौ अन्ना ख़लक़्ना लहुम् मिम्मा अ़मिलत् ऐदीना अन्आमन् फ़हुम् लहा मालिकून (71)
- व ज़ल्लल्नाहा लहुम् फ़मिन्हा रकूबुहुम् व मिन्हा यअ्कुलून (72)
- व लहुम् फ़ीहा मनाफ़िअु व मशारिबु , अ - फ़ला यश्कुरून (73)
- वत्त - ख़जू मिन् दूनिल्लाहि आलि - हतल् लअ़ल्लहुम् युन्सरून (74)
- ला यस्ततीअू - न नस् - रहुम् व हुम् लहुम् जुन्दुम् मुह्ज़रूना (75)
- फ़ला यह्जुन् - क कौ़लुहुम् • इन्ना नअ्लमु मा युसिररून व मा युअ्लिनून (76)
- अ - व लम् यरल् - इन्सानु अन्ना ख़लक़्नाहु मिन् नुत्फ़तिन् फ़ - इज़ा हु - व ख़सीमुम् - मुबीन (77)
- व ज़ - र - ब लना म - सलंव् - व नसि - य ख़ल्क़हू , का - ल मंय्युह़्यिल् - अिज़ा - म व हि - य रमीम (78)
- कुल युह़्यीहल्लज़ी अन्श - अहा अव्व - ल मर्रतिन् , व हु - व बिकुल्लि ख़ल्किन् अ़लीम (79)
- अल्लज़ी ज - अ़ - ल लकुम् मिनश्श - जरिल् - अख़ - ज़रि नारन् फ - इज़ा अन्तुम् मिन्हु तूकिदून (80)
- अ - व लैसल्लज़ी ख़ - लक़स्समावाति वल्अर् - ज़ बिक़ादिरिन् अ़ला अंय्यख्लु - क़ मिस्लहुम् , बला , व हुवल् ख़ल्लाकुल - अ़लीम (81)
- इन्नमा अम्रुहू इज़ा अरा - द शैअन् अंय्यकू - ल लहू कुन् फ़ - यकून (82)
- फ़ - सुब्हानल्लज़ी बि - यदिही म - लकूतु कुल्लि शैइंव् - व इलैहि तुर्जअून (83)
Also Read: Surah Yaseen in Arabic
Surah Yaseen ki fazilat in hindi
सूरह यासीन को कुरान-ए-पाक की सबसे महत्वपूर्ण सूरहों में से एक माना जाता है और इसे कई फजीलतों से युक्त माना जाता है। यहां सूरह यासीन की कुछ महत्त्वपूर्ण फजीलतें हैं:1. दिल की शिफा: सूरह यासीन की तिलावत और अध्ययन मानसिक और शारीरिक बीमारियों की शिफा में मदद करती है। यह शांति और चैन का उपाय है और मन को स्थिर और प्रसन्न बनाती है।2. मौत के समय आसानी: सूरह यासीन का रोजाना पाठ करने वाले व्यक्ति की मौत के समय आसानी होती है। इसे मरने वाले के लिए अल्लाह की रहमत की दूसरी रात्रि माना जाता है।3. बरकत और आदर्श जीवन: सूरह यासीन का पाठ और अध्ययन व्यक्ति को बरकत और खुशहाली की प्राप्ति में मदद करता है। यह सुख, समृद्धि, सफलता और आदर्श जीवन के लिए मान्यताओं के साथ विचारशक्ति और प्रेरणा प्रदान करता है।4. पापों के क्षय: सूरह यासीन का पाठ करने से पापों का क्षय होता है और मनुष्य को बुराई से बचाने में मदद मिलती है। इसका पाठ व्यक्ति को अच्छी आदतों, नेक कर्मों और ईमानदारी के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है5. दिल की प्रीति: सूरह यासीन का पाठ करने से व्यक्ति का दिल प्यार और आदर की ओर आकर्षित होता है। यह व्यक्ति के रिश्तों में आपसी समझ, प्रेम और सद्भावना को प्रोत्साहित करता है।सूरह यासीन की फजीलतें व्यक्ति के आध्यात्मिक और मानसिक विकास के लिए उद्दीपक हैं और इसे नियमित रूप से पढ़ने और समझने से व्यक्ति को आत्मिक और धार्मिक गहराई का अनुभव होता है।
Surah Yaseen Tarjuma in Hindi
सूरह यासीन का तर्जुमा हिंदी में इस प्रकार होता है:बिस्मिल्लाहिर रह्मानिर रहीमयासीन1. यासीन के लिए जो जश्न मनाए जाते हैं।2. कटिब तालिब ने अच्छी तरह से चेतावनी दी।3. तुम अजीब लोगों के साथ नगर बसाने में अक्षम हो गए हो।4. वे कहते हैं कि हमें यदि हम तुम्हारे मेले में दाखिल हो गए तो हम सर्वनाश हो जाएंगे।5. क्या हमें नहीं परमेश्वर ने एक ही बार उठाया था, जिसका हम सबका वादा है?6. वे कहते हैं कि तुम केवल जीवन और मौत में घूसे हुए हो और तुम्हारे बापों को धर्म से अलग नहीं किया गया था।7. क्या उन्होंने ये नहीं देखा कि हमने उनके बीच एक सैनिकों का गठजोड़ बनाया था?8. और उन्होंने नहीं सुना कि हमने उनके बीच आईने तक बनाए थे?9. या क्या वे कह नहीं सकते कि हमने उनके सबसे पहले की नस्ल को मिटा दिया था और उन्हें उनकी जगह नहीं बचाने का वादा किया था?10. कहो कि तुम इस बात का साक्षी दो, क्योंकि वे कहते हैं किहम निदाल और मृत्यु तक उस आदमी को जो पहले से ही जीवित है नहीं पहुंच सकते हैं।11. या क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने ज़मीन पर उनके लिए एक बगीचा उगाया था, जिससे उनका आहार होता था?12. और हमने उसे अनजान पहाड़ी में सड़क की बाधा से अलग कर दिया है।13. या क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने उनके लिए एक खास खलचर उगाया था?14. और वह लोग उनके साथ तालियां बजाते हैं जब उन्हें कहा जाता है कि चुप रहो, तुम खैर मानो गए थे।15. और उन्होंने कह दिया है कि हम अवश्य ही उठायेंगे।16. कहो कि तुम जो नरक देख रहे हो, उसे अवश्य ही हम और हमारे साथियों को भी दिखा देंगे।17. फिर तुम उसके बाद अवश्य ही उसे मानोगे।यहां सूरह यासीन का तर्जुमा समाप्त होता है।
Surah Yaseen ki akhri ayat in Hindi
सूरह यासीन की आखिरी आयत हिंदी में इस प्रकार है:"तब उन्होंने कह दिया है कि हम अवश्य ही उठायेंगे।" (सूरह यासीन, आयत 83)यह आयत सूरह यासीन की अंतिम आयत है और इससे स्पष्ट होता है कि परमेश्वर की शक्ति और उच्चता को यह दर्शाने के बावजूद, वह अवश्य ही बाद में सब कुछ संभालेगा और सबको जीवित करेगा।
Surah Yaseen Benefits in Hindi
सूरह यासीन के बहुत सारे फायदे हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण फायदे हैं:
1. रोगनिरोधक शक्ति: सूरह यासीन का अध्ययन करने और इसे नियमित रूप से पढ़ने से शरीर की रोगनिरोधक शक्ति मजबूत होती है और रोगों से बचाव होता है।
2. मनोशांति और चिंतामुक्ति: सूरह यासीन का पाठ करने से मन शांत होता है और चिंताओं से मुक्ति मिलती है। यह मानसिक स्थिरता और सुख-शांति का उपाय है।
3. बदनसीबी और बुराई से मुक्ति: सूरह यासीन के पाठ करने से बदनसीबी से मुक्ति मिलती है और बुराई से बचाव होता है। यह सुख, समृद्धि, और सकारात्मकता को आकर्षित करता है।
4. दिल की शिफा: सूरह यासीन का पठन और अध्ययन दिल की बीमारियों में शिफा प्रदान करता है। यह दिल को मजबूत और स्वस्थ रखने में मदद करता है।
5. बरकत और सफलता: सूरह यासीन का पाठ करने से जीवन में बरकत और सफलता प्राप्त होती है। यह सुखी और समृद्ध जीवन के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक
मार्ग प्रदान करता है।
6. मौत के बाद सुरक्षा: सूरह यासीन का पाठ करने से मौत के बाद व्यक्ति की सुरक्षा होती है और उसे आखिरी समय में शांति मिलती है।
सूरह यासीन के पाठ करने के लाभ व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक विकास के लिए होते हैं। यह उच्चता, धार्मिकता, और आनंद को वृद्धि देता है।